
हँसला निकल गया काया से लिरिक्स
कबीर काची देह का,
मुझे भरोसा नाय,
काल देखा बाजार में,
आज मसाणा माय,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
भँवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
पड़ी रही तस्वीर,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
जब जम दूत लेने को आवे,
नेक धरे ना धीर,
मार मार के प्राण निकाले,
ढले नैन से नीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
पड़ी रही तस्वीर,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
कोई रोवे कोई मल मल रोवे,
कोई ओढ़ावे चीर,
चार जणा मिल मतो उपायो,
ले गया गंगा तीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
पड़ी रही तस्वीर,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
माल खजाना कोई ना ले जाए,
संग चले ना शरीर,
चल जंगल चिता चिनाई,
कह गए दास कबीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
पड़ी रही तस्वीर,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
हँसला निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।