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गुरु की महिमा कोई ना जाने लिरिक्स, Guru Ki Mahima koi Na Jane Lyrics

Guru Ki Mahima koi Na Jane Lyrics

गुरु की महिमा कोई ना जाने लिरिक्स


गुरु की महिमा कोई ना जाने,
ना कोई पंडित ना ही सयाने ॥

गुरु एक बहती गंगा की धारा,
गुरु चरणन ने सबको तारा,
कृपा को इनकी हर कोई माने,
गुरु की महीमा कोईं ना जानें,
ना कोई पंडित ना ही सयाने ॥

पिर फकीर की वाणी में वो है,
बुद्ध नानक सा सुखदायी वो है,
प्रेम को उसके कैसे बखाने,
सिमरन के हैं लाखो बहाने,
गुरु की महीमा कोईं ना जानें,
ना कोई पंडित ना ही सयाने ॥

शब्द ना जाने कहाँ खो गये,
आँखें मन की ज़ुबा हो गये,
लगान लगी संग प्रीत अगोचर,
लोग लगे हमको समझाने,
गुरु की महीमा कोईं ना जानें,
ना कोई पंडित ना ही सयाने ॥

गुरु की महिमा कोई ना जाने,
ना कोई पंडित ना ही सयाने ॥