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हाथों की हथकड़ी पाँव की बेड़ियाँ लिरिक्स, Hatho Ki Hathkadi Paanv Ki Bediya Lyrics

Hatho Ki Hathkadi Paanv Ki Bediya Lyrics

हाथों की हथकड़ी पाँव की बेड़ियाँ लिरिक्स


हाथों की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥

तर्ज – मेरे रश्के कमर।

दोहा – धरम का लोप होकर जब,
पापमय संसार होता है,
दुखी और दीन निर्बल का,
जब हाहाकार होता है,
प्रभु के भक्तो पर जब,
घोर अत्याचार होता है,
तभी संसार मे भगवान का,
अवतार होता है।

हाथों की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया,
बात ही बात में,
भादों की रात में,
प्रकटे जब मुरली वाले,
आनंद आ गया,
हाथो की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥

नभ से बरसे सुमन,
श्याम बन गए ललन,
खेल हो गए निराले,
आनंद आ गया,
थे सिपाही खड़े,
द्वार पे जो अड़े,
सो गए पहरे वाले,
आनंद आ गया,
हाथो की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥

देवकी डर रही,
ठंडी आह भर रही,
माँ के दुःख पल में टाले,
आनंद आ गया,
ले के वसुदेवजी,
कृष्ण को चल पड़े,
टोकरे में संभाले,
आनंद आ गया,
हाथो की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥

सांवली छवि छटा,
छाई नभ पे घटा,
मेघ गरजे जो काले,
आनंद आ गया,
उतरे जमुना में जब,
डरे वसुदेव तब,
प्रभु ने पग जो निकाले,
आनंद आ गया,
हाथो की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥

पहुंचे गोकुल किशन,
माँ यशोदा प्रसन्न,
‘लख्खा’ मन से तू गाले,
आनंद आ गया,
पालने में पड़ा,
पालनहारी हरि,
बेधड़क कहते ग्वाले,
आनंद आ गया,
हाथो की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥

हाथों की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया,
बात ही बात में,
भादों की रात में,
प्रकटे जब मुरली वाले,
आनंद आ गया,
हाथो की हथकड़ी,
पाँव की बेड़ियाँ,
खुल गए स्वयं ताले,
आनंद आ गया ॥